Classification of Computer according to size,
application and purpose :- जब से COMPUTER का अविष्कार हुआ हैं, तब से हमेशा COMPUTER में कुछ न कुछ बदलाव (Update) होते रहे हैं। फिर चाहे हम Size की बात करे, या Purpose, या Application कि। तब से लेकर अब तक COMPUTER के SIZE, COMPUTER की क्षमता और कार्य पध्दति में भी बदलाव होता रहा हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए COMPUTER का CLASSIFICATION (Computer
Classification) किया गया हैं। What is computer ? Classification of coputer और Types of computer अक्सर Exams में पूछा जाने वाले Questions हैं। तो आइये जानते हैं, COMPUTER का CLASSIFICATION और COMPUTER के प्रकार।
Classification
of Computer (COMPUTER का CLASSIFICATION
)
COMPUTER का CLASSIFICATION ? COMPUTER कितने प्रकार के होते हैं? या COMPUTER के प्रकार? ये सवाल भी बहुत महत्पूर्ण हैं क्यूंकि परीक्षाओं में कई बार पूछा जाता हैं। तो चलिए हम सीख लेते हैं, COMPUTER के प्रकार?
COMPUTER को हम उनके SIZE, प्रयोग, और उद्देश्यों के आधार पर भाग (Divide) कर सकते हैं। इसलिए हम COMPUTER का CLASSIFICATION Three आधार पर करते हैं। जिसके अंतर्गत COMPUTER को Three आधार पर अलग अलग Types में Divided जाता हैं।
सबसे पहले COMPUTER का वेर्गीकरण हम Size के आधार पर करेंगे। SIZE के आधार पर COMPUTER को 4 भागो में बाटा गया हैं।
iv) Super
Computer (SUPER COMPUTER)
SUPER COMPUTER, अन्य सभी श्रेणियों के COMPUTER की तुलना में सबसे बड़े SIZE में होते हैं। इतना ही नहीं, सबसे अधिक संग्रह क्षमता वाले और सबसे अधिक गति (High Speed) वाले COMPUTER होते हैं। इन कंप्यूटर्स में एक साथ कई CPU समांतर क्रम से लगाए जाते हैं, और कार्य करते हैं। इस प्रक्रिया को Parallel
Processing कहते हैं। इस प्रकार के COMPUTER को बिल्कुल अलग PRINCIPLE के साथ तैयार किया जाता हैं, जिसे नॉन - वों न्यूमेन (Non -
Von Neumann Concept) PRINCIPLE कहते हैं।
SUPER COMPUTER का SIZE एक सामान्य कमरे के बराबर होता हैं। इस प्रकार के COMPUTER का प्रयोग बड़े वैज्ञानिक और शोध प्रयोगशालाओं में शोध कार्यों के लिए किया जाता हैं। SUPER COMPUTER में कई सारे ALU (Arithmetic Logic Unit), CPU (Central
Processing Unit) का भाग होता हैं। इसमें हर एक ALU का एक निश्चित कार्य होता हैं।
SUPER COMPUTER, सभी प्रकार के जटिल कार्यों को करने में प्रयोग किया जाता था। जैसे कि :- मौसम की भविष्यवाणी, अन्तरिक्ष यात्रा के लिए अन्तरिक्ष यात्रियों को अन्तरिक्ष में भोजन, उच्च गुणवत्ता की एनीमेशन का निर्माण करना। इन सभी कार्यों में की जाने वाली गणना और प्रक्रिया कठिन और उच्चकोटि की सुध्दता वाली होती हैं जिन्हें केवल SUPER कम्पुटर ही कर सकता हैं। 1998 में भारत में C - DEK द्वारा एक SUPER COMPUTER बनाया गया जिसका नाम "PARAM - 10000" था। इसकी गणना क्षमता 1 खरब गणना प्रति सेकंड थी। "PARAM - 10000" को भारत के विज्ञानिकों ने भारत में ही बनाया हैं। इसके अलावा अन्य SUPER COMPUTER भी हैं जैसे :- CRAY-2,
CRAY XMP-24, और NEC-500.
iii) Mainframe
Computer (मेनफ़्रेम COMPUTER)
Mainframe Computer, SIZE में Super Computer की तुलना में काफी छोटे होते हैं। और इनकी Storage
Capacity भी काफी अधिक होती हैं। इन कम्प्यूटर्स में अधिक मात्रा में बहुत ही तेज़ गति से डाटा को प्रोसेस करने की क्षमता होती हैं। ये computers बहुत तेज़ होने के कारण इनमे सेकड़ो users एक साथ कार्य कर सकते हैं। और इनमे 24 घंटे लगातार कार्य करने की क्षमता होती हैं। इसलिए इन COMPUTER का प्रयोग बड़ी बड़ी कंपनियों, सरकारी विभागों, बैंकों, इत्यादि, में केंद्रीय COMPUTER के रूप में किया जाता हैं।
Mainframe Computer को किसी भी नेटवर्क के साथ या माइक्रो कंप्यूटरो के साथ आपस में Connect किया जा सकता हैं। इन कंप्यूटर्स का उपयोग या प्रयोग विभिन स्थानों में विभिन कार्यों के लिए किया जा सकता हैं। जैसे :- बैंकों, कंपनी, नोटिस भेजना, बिल भेजना, टेक्स का विस्तृत ब्यौरा रखना, भुगतानों का ब्यौरा रखना, कर्मचारियों का भुगतान करना, बिक्री का ब्यौरा रखना, उपभोगताओं द्वारा खरीद का ब्यौरा रखना, इत्यादि। IBM 4381, ICL39 Series और CDC Cyber Series ये कुछ मेनफ़्रेम COMPUTER के नाम हैं।
ii) Mini
Computer (मिनी COMPUTER)
मिनी COMPUTER, SIZE में पिछले दोनों कंप्यूटरो की तुलना में काफी ज्यादा छोटे होते हैं। ये COMPUTER माइक्रो COMPUTER से अधिक तेज़ गति वाले होते हैं। सबसे पहला Mini Computer - PDP8 नामक था, जिसे DEC - Digital Equipment Corporation ने 1965 में तैयार किया था। जिसकी कीमत $18000
(Dollar) थी और SIZE (Size) एक रेफ्रिजरेटर
(Refrigerator) के बराबर थी।
मिनी COMPUTER की कीमत माइक्रो COMPUTER की तुलना में बहुत अधिक होती हैं। इन कंप्यूटर्स को व्यक्तिगत रूप से नहीं ख़रीदा जा सकता हैं। इनका प्रयोग छोटे और माध्यम SIZE की कंपनी कर सकते हैं। इनमे भी कई व्यक्ति एक साथ एक समय में कार्य कर सकते हैं। इन कंप्यूटर्स में एक से अधिक CPU लगे होते हैं। मिनी COMPUTER की Speed माइक्रो COMPUTER से तेज़ पर मेनफ़्रेम COMPUTER से धीमी होती हैं। इन कंप्यूटर्स को यातायात में यात्रियों के आरक्षणके लिए, बैंकों में बैंकिंग के लिए, कर्मचारी के वेतन के लिए, Financial खतों का रखरखाव करना etc.
i) Micro
Computer (माइक्रो COMPUTER)
माइक्रो COMPUTER बाकी सभी कंप्यूटरो से SIZE में बहुत छोटे होते हैं। जब 1970 के दसक में माइक्रो प्रोसेसर (Micro
Processor) का अविष्कार हुआ, तब जा कर एक सबसे अच्छी और सस्ती COMPUTER प्रणाली का बनना संभव हुआ। माइक्रो प्रोसेसर के कारण इन कंप्यूटरो को किसी भी डेस्क (Desk) या ब्रिफ्केश
(Briefcase) में भी रखा जा सकता हैं। इन छोटे COMPUTER को ही माइक्रो COMPUTER कहा जाता हैं।
2) अनुप्रयोग के आधार पर COMPUTER का CLASSIFICATION (Types of Computer According to Application)
अनुप्रयोग यानी एप्लीकेशन (Application) के आधार पर COMPUTER को तीन (3) भागो में बाटा गया हैं।
i) Analog
Computer (एनालॉग COMPUTER)
Analog Computer वो COMPUTER होते हैं, जिनका प्रयोग भौतिक इकाइयों जैसे कि लम्बाई, दाब, तापमान, वोल्टेज, गति, आदि को मापकर उनको अंकों में परिवर्तित करते हैं। ये COMPUTER केवल मापन करते हैं, ना कि गणना करते हैं। एनालॉग COMPUTER का प्रयोग मुख्य रूप से Science और Engineering के क्षेत्र में किया जाता हैं। क्यूंकि इन क्षेत्रों में मात्राओं का अधिक प्रयोग किया जाता हैं। इस प्रकार के COMPUTER केवल मापन करने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं, क्यूंकि इनसे गणना नहीं किया जा सकता। ये केवल अनुमानित अनुमान देते हैं जैसे :- किसी पेट्रोल पम्प पर लगा एनालॉग COMPUTER जो पम्प से निकलने वाले पेट्रोल की मात्रा को मापता हैं, और लीटर में दिखता हैं।
ii) Digital
Computer (DIGITAL COMPUTER)
DIGITAL COMPUTER वे COMPUTER होते हैं, जो अंकों की Calculations करते हैं। आज जो COMPUTER आप अपने आसपास देखते है, वे सभी Digital COMPUTER है। ये वो COMPUTER होते हैं जो बजट तैयार करने, बहीखाता बनाने, बैंकिंग कार्य करने, आदि में काम आते हैं। इसलिए आज के अधिकतर COMPUTER DIGITAL COMPUTER के श्रेणी में आते हैं। DIGITAL COMPUTER डाटा और प्रोग्राम को 0 और 1 में परिवर्तित करके उसको DIGITAL रूप में दिखाता हैं।
iii) Hybrid
Computer (हाइब्रिड COMPUTER)
हाइब्रिड यानी दोनों का जोड़, Hybrid COMPUTER में Analog COMPUTER और DIGITAL COMPUTER दोनों के गुण विधमान होते हैं। ये अनेक गुणों से युक्त होते हैं। इसलिए इन्हें हाइब्रिड COMPUTER कहा जाता हैं। एक उदहारण से समझिये :- जब COMPUTER की एनालॉग डिवाइस किसी रोगी के लक्षणों जैसे तापमान, या रक्तचाप आदि, को मापती हैं तो ये मापन के बाद में DIGITAL डिवाइस के द्वारा अंको में बदल डी जाती हैं। इस प्रकार से किसी रोगी के स्वास्थ्य में आये उतार चढ़ाव का सही पता चल जाता हैं।
3) उद्देश्यों के आधार पर COMPUTER का CLASSIFICATION (Types of Computer According to Purpose)
उद्देश्यों के आधार पर COMPUTER को दो (2) भागो में बाटा गया हैं।
i) General
Purpose Computer (सामान्य उद्देश्य COMPUTER)
ii) Special
Purpose Computer (विशिष्ट उद्देश्य COMPUTER)
इन COMPUTER को किसी विशेष कार्य के लिए बनाया जाता हैं। इसमें CPU की क्षमता भी उस विशेष कार्य के अनुरूप होती हैं। अगर इनमे एक से ज्यादा CPU की आवश्यकता होती हैं, तो इन COMPUTER में अनेक CPU लगाया जाता हैं। इसके अलावा अगर कार्य के लिए किसी विशेष equipment या device की जरूरत पढ़ती है, तो इन कंप्यूट में उन equipment या डिवाइस भी जोड़ा जा सकता हैं।
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